RTE 2009 के अनुसार जूनियर बेसिक/सीनियर बेसिक स्कूल में पद निर्धारण नियम
अनुसूची क्रमांक 12
विद्यालय के लिए मान और मानक
शिक्षकों की संख्या
(क) पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा के लिए
प्रवेश किए गए बालक | शिक्षकों की संख्या |
---|---|
साठ तक | दो |
इकसठ से नब्बे के मध्य | तीन |
इक्यानवे और एक सौ बीस के मध्य | चार |
एक सौ इक्कीस और दो सौ के मध्य | पांच |
एक सौ पचास बालकों से अधिक | पांच धन एक प्रधान अध्यापक |
दो सौ बालकों से अधिक | छात्र-शिक्षक अनुपात (प्रधान अध्यापक को छोड़कर) चालीस से अधिक नहीं होगा। |
(ख) छठी कक्षा से आठवीं कक्षा के लिए
(1) कम से कम प्रति कक्षा एक शिक्षक, इस प्रकार होगा कि निम्नलिखित प्रत्येक के लिए कम से कम एक शिक्षक हो:
- विज्ञान और गणित;
- सामाजिक अध्ययन;
- भाषा।
(2) प्रत्येक पैंतीस बालकों के लिए कम से कम एक शिक्षक।
(3) जहां एक सौ से अधिक बालकों को प्रवेश दिया गया है वहां:
- एक पूर्णकालिक प्रधान अध्यापक;
- निम्नलिखित के लिए अंशकालिक शिक्षक:
- कला शिक्षा;
- स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा;
- कार्य शिक्षा।
स्पष्टीकरण:
- पहली से पांचवीं कक्षा तक:
- यदि प्रवेशित छात्रों की संख्या 60 तक है, तो दो शिक्षक होंगे।
- यदि प्रवेशित छात्रों की संख्या 61 से 90 के बीच है, तो तीन शिक्षक होंगे।
- यदि प्रवेशित छात्रों की संख्या 91 से 120 के बीच है, तो चार शिक्षक होंगे।
- यदि प्रवेशित छात्रों की संख्या 121 से 200 के बीच है, तो पांच शिक्षक होंगे।
- यदि प्रवेशित छात्रों की संख्या 150 से अधिक है, तो पांच शिक्षक और एक प्रधान अध्यापक होंगे।
- यदि प्रवेशित छात्रों की संख्या 200 से अधिक है, तो छात्र-शिक्षक अनुपात (प्रधान अध्यापक को छोड़कर) 40:1 से अधिक नहीं होगा।
- छठी से आठवीं कक्षा तक:
- प्रत्येक कक्षा में कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए।
- विज्ञान और गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा के लिए प्रत्येक विषय के लिए कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए।
- प्रत्येक 35 छात्रों के लिए कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए।
- यदि 100 से अधिक छात्रों को प्रवेश दिया गया है, तो एक पूर्णकालिक प्रधान अध्यापक और कला शिक्षा, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा और कार्य शिक्षा के लिए अंशकालिक शिक्षक होंगे।
RTE 2009 के तहत शिक्षकों की संख्या का निर्धारण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि छात्रों को शिक्षकों के साथ पर्याप्त संपर्क समय मिले और उन्हें आवश्यक ध्यान मिले।
लाभ:
- छात्र-शिक्षक अनुपात में कमी
- प्रत्येक छात्र को अधिक ध्यान
- बेहतर शिक्षण परिणाम
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