IT Rates for fy 2021-22
Income Tax Rules India
Individual Assessee : व्यक्ति (निवासी अथवा अनिवासी (Non-Resident)) अथवा हिंदु अविभाजित परिवार (HUF) अथवा व्यक्तियों के संघ (AOP) अथवा व्यक्तियों की निकाय (Body of Individual) अथवा अन्य किसी कृत्रिम कानूनी व्यक्ति (Artificial Person) की स्थिति में निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए आयकर की दरें निम्न प्रकार हैं
IT Slab Rate old tax regime
1.1 Individual, age of fewer than 60 years
Net income range | Income-tax Rates |
Up to Rs. 2,50,000 | Nil |
Rs. 2,50,001- Rs. 5,00,000 | 5% |
Rs. 5,00,001- Rs. 10,00,000 | 20% |
Above Rs. 10,00,000 | 30% |
1.2 Resident senior citizen , age of 60 yrs or more but less than 80 yrs
Net income range | Income-tax Rates |
Up to Rs. 3,00,000 | Nil |
Rs. 3,00,001- Rs. 5,00,000 | 5% |
Rs. 5,00,001- Rs. 10,00,000 | 20% |
Above Rs. 10,00,000 | 30% |
1.3 Resident super senior citizen, age of 80 years or more
Net income range | Income-tax Rates |
Up to Rs. 5,00,000 | Nil |
Rs. 5,00,001- Rs. 10,00,000 | 20% |
Above Rs. 10,00,000 | 30% |
Income Tax 80C Rebate
Incometax Tution Fee Rebate
आयकर अधिनियम,1961 की धारा 80 सी के तहत ट्यूशन शुल्क की राशी से कर लाभ क्लेम किया जा सकता है जो की कर लाभ की राशि प्रति वर्ष धारा 80 सी की समग्र सीमा 1.5 लाख रुपये सीमा में है।
- कितने बच्चों के लिए कर लाभ ? लाभ दो बच्चों के लिए भुगतान की गई फीस के लिए लागू होता है। इसलिए अगर किसी दंपत्ति के चार बच्चे हैं, तो दोनों कर लाभ का दावा कर सकते हैं क्योंकि दोनों की दो बच्चों की अलग-अलग सीमा होती है।
- क्या सभी संस्थान छूट हेतु पात्र हैं? भारत में स्थित किसी भी पंजीकृत विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल या शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश के समय या कभी भी वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान की जाने वाली ट्यूशन फीस कर लाभ के लिए योग्य है।
- किस प्रकार की शिक्षा ? किसी भी प्ले स्कूल की गतिविधियों, प्री-नर्सरी और नर्सरी कक्षाओं, कॉलेज डिग्री सहित पूर्णकालिक शिक्षा होनी चाहिए। संस्था निजी या सरकारी हो सकती है।
- किस राशी पर छूट नहीं है ? कई बार, माता-पिता को शिक्षण संस्थानों को शिक्षण शुल्क के अलावा भुगतान करना पड़ता है। विकास शुल्क या दान या कैपिटेशन फीस, आदि जैसे भुगतान शामिल नहीं हैं और कर लाभ के लिए योग्य नहीं हैं। इसके अलावा, यदि आपने समय पर शुल्क का भुगतान नहीं किया है, तो लागू विलंब शुल्क देय नहीं होगा।
- पेरेंट्स को किस प्रकार कर लाभ मिलता है? भुगतान करने वाले माता-पिता को कर लाभ मिलता है। यदि माता-पिता दोनों काम कर रहे हैं और करों का भुगतान करते हैं, तो दोनों व्यक्तिगत रूप से भुगतान की गई फीस की राशि तक का दावा कर सकते हैं। यदि दोनों काम कर रहे हैं और क्रमशः उनके द्वारा भुगतान की गई राशि के लिए धारा 80 सी के तहत लाभ लेना चाहते हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं। इसलिए यदि भुगतान किया गया शुल्क 2 लाख रुपये है, जिसमें से पिता ने 50,000 रुपये का भुगतान किया है, जबकि माँ ने 1.5 लाख रुपये का भुगतान किया है, तो दोनों उनके द्वारा किए गए भुगतान के अनुसार व्यक्तिगत रूप से राशि का दावा कर सकते हैं।
Income Tax 80U Deduction
आयकर की धारा 80U क्या है ?
Income Tax Rules India इस नियम के तहत कोई विकलांग व्यक्ति स्वयं अपने ऊपर खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है, एक बार फिर से ध्यान दें— विकलांग व्यक्ति स्वयं। जबकि धारा 80DDB के तहत कोई व्यक्ति स्वयं की बजाय अपने परिवार के किसी विकलांग सदस्य पर हुए खर्च पर टैक्स छूट का दावा कर सकता है। धारा section 80U के तहत टैक्स छूट (Deduction) की सुविधा, विकलांगता के स्तर के हिसाब से मिलती है। विकलांगता का स्तर हल्का होने पर कम टैक्स छूट मिलती है, जबकि विकलांगता का स्तर गंभीर होने पर ज्यादा टैक्स छूट मिलती है।
धारा 80U के तहत टैक्स छूट को दो श्रेणियों में बांटा गया है।
- सामान्य विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट (Expense on Common disabile person)- सामान्य विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से 40% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत कम से कम 40% विकलांगता ग्रस्त व्यक्ति पर सालाना 75 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है।
- गंभीर रूप से विकलांग व्यक्ति पर खर्च के लिए के लिए टैक्स छूट (Deduction for expense on severe disabile person) – गंभीर विकलांग व्यक्ति उसे माना गया है, जो चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से कम से कम 80% विकलांगता का शिकार है। धारा 80 यू के तहत ऐसा व्यक्ति जो कम से 80% या इससे अधिक विकलांगताग्रस्त है, उस पर भर में हुए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।
विकलांगता की श्रेणी और छूट (Category of disability & Deduction)
- सामान्य विकलांगताग्रस्त व्यक्ति|Normal Disabled person (40% disability) – Deduction allowed Rs. 75,000
- गंभीर विकलांगताग्रस्त व्यक्ति Severely disabled person (80% disability) – Deduction allowed Rs. 1,25,000
धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट के लिए आवश्यक दस्तावेज :
- धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको पहली बात तो भारतीय नागरिक होना चाहिए। दूसरी बात, आपके पास उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी की ओर से जारी विकलांग व्यक्ति .“a person with disability” का प्रमाणपत्र होना चाहिए। उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी (medical authority) के रूप में निम्नलिखित अधिकारियों को रखा गया है-
- राजकीय अस्पताल का सिविल सर्जन या मुख्य चिकित्सा अधिकारी
- न्यूरोलॉजिस्ट जो कि न्यूरोलॉजी में एमडी की उपाधि धारण करता हो
- बच्चों के मामले में Paediatric Neurologist जिसके पास एमडी की उपाधि हो
80U के तहत विकलांग व्यक्ति की परिभाषा – निम्नलिखित में से किसी भी शारीरिक अक्षमता से ग्रस्त व्यक्ति को विकलांग व्यक्ति की श्रेणी में माना गया है, जिसे उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी से प्रमाणित भी किया गया हो
दृष्टिहीनता (अंधत्व) | (Blindness) कम दिखाई देना | Low vision कोढ की बीमारी | Leprosy-cured
सुनने की अक्षमता | Hearing impairment लोको मोटर अक्षमता | Loco motor disability
मानसिक अक्षमता | Mental retardation मानसिक अयोग्यता | Mental illness
आटिज्म (भूलने की बीमारी) |Autism सेरेबल पॉल्सी की बीमारी | Cerebral palsy
ध्यान देने योग्य बातें :
- धारा 80 यू के तहत टैक्स छूट का दावा करने के लिए शारीरिक समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना पड़ता। लेकिन इसका प्रमाणपत्र आपके पास होना जरूरी है, ताकि आगे किसी जांच की स्थिति में उसे पेश किया जा सके। लेकिन गंभीर बीमारियों जैसे कि autism या cerebral palsy के संबंध में Form 10-IA अलग से भरा जाना अनिवार्य होता है।
- विकलांग व्यक्ति उसे माना जाएगा उसे Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995 में परिभाषित किया गया है।
Incometax 80G Deduction Rebate
विशिष्ट निधियों, धर्मार्थ संस्थानों या आपदा राहत कोष या पंजीकृत ट्रस्ट में किए गए योगदान पर धारा 80G के तहत कर छूट के रूप में दावा किया जा सकता है। इनकम टैक्स की धारा 80 जी के तहत कोई भी नागरिक, एचयूएफ या कंपनी किसी फंड या चैरिटेबल संस्था को दिए गए दान पर टैक्स छूट ले सकती है।
धारा 80G के तहत कर छूट लेने के लिए आवश्यक शर्ते :
- आप जिस संस्था को दान दे रहे है, वह आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 12A के तहत रजिस्टर्ड होनी चाहिए और साथ ही धारा 80G के तहत दान लेने के योग्य होनी चाहिए। अगर आप आयकर कानून के तहत अपंजीकृत संस्था या विदेशी ट्रस्ट या किसी राजनीतिक दल को चंदा या दान करते हैं तो इस प्रकार के दान पर 80G में कोई टैक्स छूट नहीं मिलेगी।
- बैंक ड्राफ्ट, नकद, चेक या ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से किए गए दान पर टैक्स छूट ली जा सकती है। यदि आप नकद में दान कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि दान राशि रुपये 2000/- से अधिक नहीं हो। उक्त सीमा से अधिक नकद दान के लिए कर छूट दावा केवल ₹2000/- तक ही अनुमत है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से नकदी के रूप में दान या चंदे को अधिकतम 2000 रुपए तक सीमित कर दिया गया है। इससे अधिक का दान या चंदा अन्य किसी रिकॉर्डयुक्त माध्यम (चेक, ड्राफ्ट या डिजिटल पेमेंट) से ही दिया जा सकता है।
- किसी भी प्रकार की सामग्री, भोजन, दवाओं, कपड़े या अन्य रूप में किया गया दान आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत कटौती के लिए पात्र नहीं हैं।
- धारा 80 जी के तहत टैक्स छूट का फायदा लेने के लिए आपके पास संस्था की ओर से दी गई दान की रसीद अथवा दान का वैध प्रमाण अवश्य होना चाहिए। डिजिटल भुगतान से किए दान पर रशीद के बिना भी छूट ली जा सकती है।
- संस्था जो रसीद दे रही हैं, उस पर संस्था का नाम एवं पूरा पता, रसीद नंबर, दान दी गई राशि का विवरण अंकों एवं शब्दो मे, प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर, संस्था का 80जी के तहत पंजीयन प्रमाणपत्र क्रमांक आदि विवरण अवश्य अंकित होना चाहिए।
- धारा 80 जी के तहत कटौती का दावा करने के लिए आपको अपना रिटर्न दाखिल करते समय कुछ विवरणों का उल्लेख करना होगा जैसे – दानदाता का नाम एवं पता, अंशदान राशि, दान प्राप्त करने वाली संस्था/कोष का नाम व पता एवं पैन नम्बर एवं धारा 80G के अंतर्गत पंजीयन का क्रमांक आदि का विवरण देना आवश्यक है।
- दान की राशि में छूट : धारा 80जी में निर्दिष्ट विभिन्न दान, प्रदान किए गए प्रावधानों के अनुसार 100% या 50% तक की कटौती के लिए पात्र हैं।
आयकर अधिनियम की धारा 80G के अंतर्गत छूट की श्रेणियां
आयकर अधिनियम की धारा 80 जी दो अलग-अलग श्रेणियों के तहत दान को वर्गीकृत करती है। प्रथम श्रेणी के अंतर्गत बिना किसी अधिकतम सीमा के 100% या 50% दान राशि की कर छूट का दावा कर सकते हैं। द्वितीय श्रेणी के अंतर्गत आप अधिकतम सकल वेतन के 10% सीमा तक ही 100% या 50% तक दान राशि पर छूट प्राप्त कर सकते है।
बिना किसी सीमा के दान की 100% या 50% की छूट :
- 100 फीसदी कर छूट बिना किसी लिमिट : इन संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 100 फीसदी कर छूट मिलती है। इनमें दान की रकम पर 10 फीसदी का बंधन भी नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, PM CARES फंड, राष्ट्रीय रक्षा कोष, राष्ट्रीय बाल कोष, राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय रक्ताधान (blood transfusion) समिति, मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष, मुख्यमंत्री कोविड-19 राहत कोष, जिला साक्षरता समिति, राष्ट्रीय महत्व की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी / शिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय खेलकूद प्राधिकरण, स्वच्छ भारत कोष एवं स्वच्छ गंगा निधि, आर्मी/एयरफोर्स सेंट्रल वेलफेयर फंड आदि।
- 50 फीसदी कर छूट बिना किसी लिमिट के : इस श्रेणी की संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर केवल 50 फीसदी करछूट अनुज्ञेय है। इसमें भी दान की रकम पर 10 फीसदी का बंधन नहीं है। जैसे प्रधानमंत्री सूखा राहत कोष, जवाहर लाल नेहरू/इंदिरा गांधी स्मृति निधि, राजीव गांधी फाउंडेशन, 80G के तहत पंजीकृत राष्ट्रीय चेरिटेबल संस्थाए, ज्ञानसंकल्प पोर्टल आदि।
सकल आय के अधिकतम 10% सीमा तक 100% या 50% की छूट :
- 100 फीसदी कर छूट (सकल आय का अधिकतम 10% तक): इस श्रेणी के संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 100 फीसदी कर छूट मिलती है लेकिन कुल कर योग्य आय के 10 फीसदी के बराबर दान की गई रकम पर ही 100 फीसदी करछूट मिलेगी। सरकारी या स्थानीय संस्थाएं जो परिवार नियोजन के प्रमोशन का काम करती हैं, इसमें आती हैं। इसके अलावा भारतीय ओलंपिक संघ या धारा 10(23) के अधीन अधिसूचित खेलकूद प्रायोजक संस्थाए/आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए निर्मित संस्थाए आदि इसमें शामिल है।
- 50 फीसदी कर छूट (सकल आय का अधिकतम 10% तक): इस श्रेणी की संस्थाओं को दान देने पर दान दी गई रकम पर 50 फीसदी तक की करछूट मिलती है लेकिन कुल वार्षिक आमदनी के 10 फीसदी के बराबर दान की गई रकम पर ही 50 फीसदी करछूट मिलेगी। इसमें ऐसी सरकारी या स्थानीय संस्थाएं आती हैं, जो परिवार नियोजन के अलावा समाज सेवा, टाउन प्लानिंग का काम भी करती हों। अल्पसंख्यक समुदाय के उन्नतिकरण हेतु गठित राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय संस्थाएं/निगम एवं कोई भी धार्मिक पूजा/प्रार्थना स्थल जो ऐतिहासिक,पुरातात्विक या कलात्मक महत्व रखती हो, आदि शामिल है।
नोट : आयकर अधिनियम की धारा 80G के अन्तर्गत चैरिटेबल संस्थाओं को दिए गए दान पर छूट देने के लिये आहरण एवं वितरण अधिकारी सक्षम नहीं है, करदाता को इस दान को अपनी रिटर्न फाइल करने पर स्वयं कर छूट हेतु क्लेम करना होगा। लेकिन जहां किसी कर्मचारी ने अपने वेतन से दान का भुगतान किया है और नियोक्ता द्वारा स्वयं उसके वेतन से राशि काट ली गई है, तब नियोक्ता द्वारा धारा 80जी के तहत की गई कटौती का दावा किया जा सकता है। ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म नंबर 16 में ये कटोती (दान) अंकित होगा।
Information about Section 87A
- धारा 87A के अंतर्गत छूट : छूट निवासी व्यक्ति के लिए उपलब्ध होती हैं यदि उसकी कुल कर योग्य आय रू. 5,00,000 से अधिक न हो। छूट की राशि अधिकतम 12,500 रू होगी.
- इसलिए ध्यान रखें यदि आपकी कर योग्य आय (80C,U,G,CCD आदि सभी छूट घटाने के बाद) 5 Lac से 1 Rs. भी अधिक हुई तो आपको 87A यानी 12500/- Max. की छूट नहीं मिलेगी.. इसलिए Check करलें कोई गुंजाइश हो तो Invest या Donation कर दें.
About 80TTA and 80TTB
- Section 80TTA : grants a deduction on savings account interest up to Rs 10,000 per annum. It applies to all individuals and HUFs other than senior citizens (those above 60).
- Section 80TTB : Senior citizens can instead take advantage of a bigger deduction of Rs 50,000 per annum on both savings and FD interest under Section 80TTB.
- Savings Account Interest : above Rs 10,000 is taxable under the head ‘Income from Other Sources’ at your slab rate.
- निष्कर्ष – 60 वर्ष तक के करदाता को बचत खाता / खातों के कुल ब्याज की अधिकतम Rs. 10,000/- की छूट 80TTA के तहत् देय होगी FD/RD के ब्याज पर छूट नहीं मिलेगी.
House Rent Allowance Rebate
About HRA Rebate
- यदि कर्मचारी द्वारा प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक मकान किराया चुकाया जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे मकान मालिक का पेन संख्या नियोक्ता को उपलब्ध कराना आवश्यक है। और यदि मकान मालिक के पास पेन सं0 उपलब्ध नहीं है तो मकान मालिक से इस आशय की घोषणा मय मकान मालिक के नाम एवं पता सहित प्राप्त कर नियोक्ता को उपलब्ध करानी होगी
- मकान किराये की छूट हेतु किरायानामा की प्रति नियोक्ता का उपलब्ध कराये जाने का कोई प्रावधान नहीं है
HRA Clarification
- मकान किराए की रिबेट उस कार्मिक को मिलेगी जो अपने पदस्थापन स्थान पर किराए के मकान में रह रहा हो।
- जिसका पोस्टिंग प्लेस हेडक्वार्टर पर स्वयं का मकान नही है और होम लोन अपने निवास स्थान पर मकान निर्माण के लिए लिया है, होम लोन लेकर मकान निर्माण पूर्ण कर लिया है और उस मकान को किराए पर दिया है तो वह इनकम Other income from house property में show करनी होगी।
- जिस स्थान पर पोस्टिंग है और वही आपने होम लोन लेकर मकान बनाया है तो आपको HRA की छूट नही मिलेगी।
Incometax Section 80CCC
धारा 80CCC क्या है ?
Income Tax Rules India पेंशन एक सुरक्षा है जो युवा और वृद्ध दोनों को समान रूप से शांति प्रदान करती है। धारा 80CCC एक टैक्स सेविंग सेक्शन है, जिसके तहत कोई व्यक्ति पेंशन योजनाओं या बीमा कंपनियों की किसी भी वार्षिकी योजना के लिए किए गए भुगतान के लिए INR 1,50,000 तक की कर कटौती का दावा कर सकता है।
- पेंशन योजनाओं में व्यक्तिगत योगदान धारा 80CCC के तहत आयकर छूट के लिए पात्र हैं।
- धारा 80CCC के तहत वार्षिकी पेंशन योजनाओं के भुगतान में कटौती की जा सकती है।
- सेवानिवृत्ति योजनाओं को खरीदने या जारी रखने के लिए किए गए खर्चों पर कर लाभ धारा 80CCC के तहत परिभाषित किया गया है, जिससे योग्य निवेशकों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।
- वार्षिकी जमा करने पर प्राप्त वार्षिक पेंशन हर साल कर योग्य है, जिसमें कोई ब्याज या अर्जित बोनस शामिल है और योजना के आत्मसमर्पण के बाद प्राप्त राशि पर कर लगता है।
- केवल व्यक्तिगत करदाता (INDIVIDUAL) ही धारा 80CCC के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं जो की अधिकतम 1,50,000 रुपये है। हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए धारा 80 CCC में आयकर की कोई छूट देय नही है।
- बीमाकर्ता सार्वजनिक या निजी क्षेत्र दोनो का हो सकता है।
- 80CCC के तहत देय छूट धारा 80C की 1,50,000/- की सीमा के अधीन ही देय है, यह धारा 80c का ही पार्ट है।
- वार्षिकी (Annuity) क्या है : वार्षिकी एक अनुबंध है जो पॉलिसी अवधि की शुरुआत में एकमुश्त निवेश पर निर्दिष्ट अवधि के लिए ग्राहकों को नियमित भुगतान प्रदान करता है। … वरिष्ठ नागरिकों जैसे व्यक्तियों के लिए वार्षिकी बहुत उपयोगी है जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए नियमित और स्थिर आय की आवश्यकता होती है। वार्षिकी योजनाओं का लाभ आपके पूरे जीवन के लिए नियमित और गारंटीकृत भुगतान है। वार्षिकी दो प्रकार की होती है।
- तात्कालिक : तात्कालिक वार्षिकी में जीवन बीमाकर्ता को एकमुश्त राशि का भुगतान करने के तुरंत बाद पेंशन मिलती है।
- आस्थगित वार्षिकी : आस्थगित वार्षिकी में आपको निर्धारित समय अवधि के बाद पेंशन मिलती है।
- सरल पेंशन प्लान क्या है : सरल पेंशन योजना एक तात्कालिक वार्षिकी प्लान है, यानी पॉलिसी लेते ही आपको पेंशन मिलना शुरू हो जाता है. इस पॉलिसी को लेने के बाद जितना पेंशन से शुरुआत होती है, उतनी ही पेंशन पूरी जिंदगी मिलती है।
- एलआईसी में पेंशन प्लान क्या है : LIC सरल पेंशन योजना (Saral Pension). ये एक सिंगल प्रीमियम पेंशन प्लान (Single premium Pension plan) है, जिसमें पॉलिसी लेते समय ही एक बार प्रीमियम देना होता है. इसके बाद पूरी जिंदगी आपको पेंशन मिलती रहेगी। LIC सरल पेंशन प्लान को 40 से 80 साल तक का कोई भी व्यक्ति ले सकता है. ज्वाइंट लाइफ एन्युटी ऑप्शन में दोनों की उम्र 40 से 80 के बीच में होनी चाहिए. इसमें आपको मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना पेंशन लेने का ऑप्शन है. इस पॉलिसी में आप 6 महीने के बाद लोन भी ले सकते हैं।
- एसबीआई पेंशन प्लान क्या है : नेशनल पेंशन प्लान एसबीआई एक स्वैच्छिक प्लान है और 18 से 60 साल के बीच के किसी भी भारतीय नागरिक को पेंशन खाते खोलने की अनुमति देता है। नेशनल पेंशन प्लान एसबीआई के प्रत्येक खाताधारक को एक स्थायी रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) प्राप्त होगा जो कि प्रीमियम भुगतान और पेंशन भुगतान अवधि तक फिक्स रहेगा।
- अटल पेंशन योजना क्या है : अटल पेंशन स्कीम (Atal Pension Scheme) एक ऐसी सरकारी योजना है जिसमें आपके द्वारा किए गए निवेश आपकी उम्र पर निर्भर करती है. इस योजना के तहत आपको कम से कम 1,000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये, 4000 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये मासिक पेंशन मिल सकती है।
Income Tax Section 80CCD
Incometax Section 80CCD(1)
सेक्शन 80CCD(1) के तहत खाताधारक टियर 1 खाते में जो पैसा जमा करता है, उस पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है. टियर 1 एनपीएस अकाउंट में जमा राशि पर एक साल में 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स लाभ लिया जा सकता है. टियर 1 खाते में जमा 1.5 लाख रुपये पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
Incometax Section 80CCD(2)
एनपीएस टियर 1 खाते में कोई कंपनी अपने कर्मचारी के लिए जो पैसे जमा करती है, उस पर सेक्शन 80CCD(2) के तहत टैक्स छूट का लाभ दिया जाता है. मौजूदा नियम के मुताबिक, कंपनी अपने किसी कर्मचारी की सैलरी का 10 परसेंट हिस्सा एनपीएस टियर 1 खाते में जमा कर सकती है. यहां सैलरी का अर्थ बेसिक सैलरी और डीए से है. कंपनी 10 परसेंट के दायरे में जितना चाहे कर्मचारी के नाम पर एनपीएस टियर 1 खाते में पैसे जमा करा सकती है. जमा रकम की सीमा सैलरी के 10 परसेंट से अधिक नहीं हो सकती. टैक्स छूट का यह लाभ सेक्शन 80CCD(1) से अलग होता है.
Incometax Section 80CCD(1b)
इस सेक्शन के तहत एनपीएस खाताधारक एक साल में अधिकतम 50,000 रुपये का टैक्स लाभ ले सकता है. टैक्स डिडक्शन के इस नियम को 2015-16 में शामिल किया गया. 50,000 रुपये का टैक्स लाभ सेक्शन 80CCD(1) और सेक्शन 80CCD(2) से अलग है.
आयकर नियम की धारा 80ccd(1) 80ccd(2) और 80ccd(1b) के बारे में जानकारी
- धारा 80ccd(1)कर्मचारी का अंशदान सेक्शन 80c का पार्ट है।
- अंशदान जो आपने NPS में किया है। उसको आप चाहे तो दो भागों में split (बाँट) सकते है। धारा 80ccd (1) और धारा 80ccd(1b) में
- यदि आपकी कुल कटौती 80c में 150000 या कम है तो nps कटौती का split से कोई लाभ नही होगा
- यदि NPS कटौती 150000 से ज्यादा है तो तो पहले ये चेक करें 150000 से कितनी ज्यादा। जितनी ज्यादा 150000 से है उतनी राशि 80ccd(1b) में जोड़ सकते। तथा उतनी ही राशि 80c सेक्शन के पार्ट 80ccd (1) में कम करेंगे।
- यदि 80C में आपकी कुल कटौती 2 लाख या ज्यादा है तो आप अपनी NPS कटौती से 50000 कम करके अधिकतम 50000 80ccd(1b) में शामिल कर सकते।
- इस प्रकार NPS एम्प्लोयी को अधिकतम 150000+ 50000= 2 लाख की छूट मिल सकती।
- Spilit होने वाली राशि कर्मचारी का अंशदान में से होगी।
- राजकीय अंशदान एक बार कुल आय में जुड़ेगा और और अधिकतम वेतन का 10% के बराबर कटौती धारा 80ccd(2) में घटेगा। ये 80c और 80ccd(1b) के अतिरिक्त होगा।
Income Tax Section 80DD
- 40 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के लिए 75000 रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।
- 80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के लिए 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ले सकते है।
धारा 80 डीडी और धारा 80यू में अंतर :
- Section 80DD की तरह ही Section 80U भी विकलांग व्यक्ति पर खर्च पर टैक्स छूट पाने का अधिकार देती है। दोंनों में एक समान टैक्स छूट मिलती है। लेकिन दोनों में बेसिक रूप से अंतर है। धारा 80DD किसी आश्रित विकलांग व्यक्ति पर खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को नहीं मिलती, बल्कि उस व्यक्ति को मिलती है, जो उस विकलांग व्यक्ति की देख रेख करता है। धारा 80U किसी विकलांग व्यक्ति की ओर से स्वयं पर किए गए खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यानी कि यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को खुद ही मिलती है, अगर वह टैक्स भरने लायक आमदनी पाता है तो।
विकलांग व्यक्ति किसे माना जाएगा : संविधान की धारा (1) के भाग 2 में मौजूद कानून समान- अवसर, सुरक्षा का अधिकार और पूर्ण सहभागिता) कानून, 1965 में विकलांगता को परिभाषित किया गया है। जिन विकारों को विकलांगता माना गया है, वे इस प्रकार हैं
- नेत्रहीनता (अंधापन) Blindness
- अल्प दृष्टि | Low vision
- ठीक हुआ कोढ़पन | Leprosy-cured
- चलने की विकलांगता | Loco motor disability
- सुनने में कठिनाई | Hearing impairment
- अल्प मानसिक विकास | Mental retardation
- मानसिक बीमारी | Mental illness
- स्वलीनता | Autism
- मानसिक पक्षाघात | Cerebral palsy
- बहु विकलांगता | Multi Disabilit
धारा 80 डीडी के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको आप के खर्च पर आश्रित परिवार के सदस्य के बारे में उपयुक्त दस्तावेज भी प्रस्तुत करना होता है। दस्तावेज के बारे में नियम इस प्रकार हैं :
- चिकित्सीय प्रमाण पत्र : आपको अपने परिवार के आश्रित विकलांग व्यक्ति के बारे में उपयुक्त चिकित्साधिकारी की ओर से जारी किया गया मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करना होगा। नेत्रहीनता , अल्प दृष्टि, ठीक हुआ कोढ़पन, चलने की विकलांगता, सुनने में कठिनाई , अल्प मानसिक विकास, मानसिक बीमारी की स्थिति में इस प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।
- फॉर्म 10 IA कब भरना होता है : अगर आप पर आश्रित परिवारी जन स्वलीनता (Autism), मानसिक पक्षाघात (Cerebral palsy) या बहु विकलांगता (Multi Disability) की बीमारी से ग्रस्त है तो आपको फॉर्म 10 IA पेश करना होता है।
- स्वघोषित प्रमाणपत्र : आश्रित व्यक्ति के संबंध में उपरोक्त दस्तावेजों के अलावा आपको खुद भी एक अपनी ओर से घोषणापत्र देना होता है। इस स्वघोषित प्रमाणपत्र में आप बताते हैं कि आश्रित व्यक्ति पर आपने उस साल के दौरान कितना खर्च किया है। इन खर्चों में चिकित्सीय उपचार (नर्सिंग समेत), ट्रेनिंग या पुनर्वास (rehabilitation) पर हुए खर्चे भी शामिल होते हैं।
Income Tax Section 80DDB
सेक्शन 80DDB के तहत अपने किसी आश्रित की गंभीर और लंबी बीमारी के इलाज में खर्च की गई रकम पर इनकम टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। कोई आयकर दाता अपने माता-पिता, बच्चे, आश्रित भाई-बहनों और पत्नी के इलाज में खर्च की गई रकम की कटौती के लिए दावा कर सकता है। इनमें कैंसर, हीमोफीलिया, थैलीसीमिया और एड्स, किडनी फेल्योर आदि बीमारियां शामिल हैं।
धारा 80DDB के अन्तर्गत टैक्स छूट के महत्वपूर्ण प्रावधान :
- धारा 80DDB में रोगों या बिमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों के लिए टैक्स छूट का प्रावधान है।
- यदि कोई व्यक्ति या HUF (अविभाजित हिंदू परिवार) विशेष बिमारी के इलाज के लिये खर्च करता है तो धारा 80DDB के तहत उसे टैक्स छूट मिलती है।
- इसमें मेडीकल ट्रीटमेंट में किए गए खर्चों के लिए टैक्स छूट मिलती है ना कि मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए।
- इस धारा के तहत किसी कॉर्पोरेट या अन्य संस्थाओं द्वारा छूट नहीं क्लेम की जा सकती है। साथ ही इस टैक्स छूट को वही लोग क्लेम कर सकते हैं जो पिछले साल भारत देश के निवासी रहे हों। NRI (अप्रवासी भारतीयों) पर यह धारा लागू नहीं होगी।
- व्यक्ति विशेष के मामले में, टैक्स छूट इसके या उस पर निर्भर (Dependent) में से किसी के मेडिकल पर खर्च के लिए क्लैम किया जा सकता है। यहाँ निर्भर (Dependent) का मतलब पति या पत्नी, उसके बच्चों, उसके माता पिता, भाई/बहनों आदि से है।
- HUF के मामले में उसके किसी भी सदस्य मेडीकल ट्रीटमेंट के खर्च को टैक्स छूट के लिए कवर किया जाएगा।
धारा 80DDB कुछ विशेष मेडीकल ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। Section 11DD के अनुसार विशेष बीमारियां जिनमे न्यूरोलॉजिकल रोग जिसकी पहचान एक विशेषज्ञ द्वारा की गई हो, जहां विकलांगता का स्तर 40% या उससे अधिक होने का प्रमाण दिया गया हो, इसमें शामिल हैं डिमेंशिया, डिस्टोनिया मस्कुलरम डिफॉर्मस , कोरिया मोटर न्यूरोन रोग, एटासिया, पार्किंसंन डिजीस और हेमबैलिस्म, घातक कैंसर, एड्स, क्रोनिक रीनल फेलियर, हेमोफिलिया या थैलेसीमिया जैसे हेमेटोलॉजिकल डिसऑनर आदि के ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। । यह उन मेडिकल खर्चों के लिए टैक्स छूट नहीं देता जो बहुत समान होते हैं जैसे मोतियाबिंद या जो सेक्शन C में आते हैं ।
80DDB क्लेम के लिये जरूरी दस्तावेज
- धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट का क्लेम करने के लिए मेडीकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता के सबूत देने होंगे । साथ ही यह प्रमाण भी देना होगा कि यह ट्रीटमेंट वास्तव में कराया गया है। इसके अलावा एक डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन भी आवश्यक हैं।
- पहले सरकारी अस्पताल से इस तरह के प्रिस-क्रिपशन लेना जरूरी था लेकिन वर्ष 2016-17 से यह नियम बदल गए है। अब निजि अस्पताल के संबंधित विशेषज्ञों से मिले प्रिस-क्रिपशन से भी काम चल जाता है। नियम 11DD में निम्नलिखित बदलाव हुए हैं।
- न्यूरोलॉजिकल रोगों के मामले में डॉक्टर ऑफ मेडिसन इन न्यूरोलॉजिकल या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होगा।
- मेलिग्नेट कैंसर के मामले में एक ऑन्कोलॉजिस्ट या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- एड्स के मामले में सामान्य या आंतरिक चिकित्सा में पोस्ट ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष डिग्री वाले किसी विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- क्रोनिक रीनल फैलियर के मामले में भी डॉक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजिस्ट , या मास्टर ऑफ चिरेगाइ (M.Ch) या उसके समकक्ष किसी डिग्री वाले डॉक्टर के प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- अंतिम बिमारी हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले में हेमेटोलॉजी या इसके समकक्ष डिग्री विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- ध्यान रखें कि ये सभी डॉक्टर या डिग्री होल्डर्स भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त होने चाहिये।
- अगर इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है तो फुल टाइम काम कर रहे डॉक्टर और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले विशेषज्ञो के प्रिस-क्रिपशन भी शामिल होंगे
प्रिस-क्रिपशन में क्या होना चाहिए : पहले प्रिस-क्रिपशन फॉर्म 10-I में जमा होता था, जो 2016-17 से बदल गया है, अब निम्न निर्देश है:
- रोगी का नाम
- रोगी की आयु
- बीमारी
- प्रिस-क्रिपशन देने वाले डॉक्टर का नाम, पता, व रजिस्ट्रेशन नम्बर
- यदि किसी सरकारी हॉस्पिटल में उपचार हो तो वहां का नाम व पता और प्रिस-क्रिपशन आवश्यक होंगा ।
- प्रिस-क्रिपशन में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर व इंचार्ज के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
- धारा 80DDB के तहत छूट क्लेम करने के लिए उस व्यक्ति की आयु मुख्य आधार है, जिसका मेडिकल ट्रीटमेंट किया गया हो।
- यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो टैक्स छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि या 40,000 रु. दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
- यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के किसी सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि के एक लाख रुपए दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
- वरिष्ठ नागरिकों यानी जिनकी उम्र 60 साल या उस से ज़्यादा के व्यक्ति, जिनकी नागरिकता भी भारतीय हो, ये उनसे संबंधित है।
- अतिवरिष्ठ नागरिक का मतलब जिनकी आयु 80 वर्ष से ज़्यादा है, और वो भारत का नागरिक हो।
धारा 80DDB के तहत छूट का क्लेम निम्नलिखित है:
- सामान्य नागरिक -आयु 60 वर्ष से कम : ₹ 40,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
- वरिष्ठ नागरिक – आयु 60 वर्ष या उससे ऊपर 80 वर्ष से कम हो : ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
- अति वरिष्ठ नागरिक – 80 या उससे ऊपर : ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो
ध्यान रखने योग्य बातें :
छूट का क्लेम तभी किया जाएगा जब पिछले वर्ष के दौरान किए गए खर्च वास्तविक हों।
इसके अलावा छूट की राशि मेडिकल ट्रीटमेंट लेने वाले व्यक्ति की उम्र पर निर्भर होगी न कि क्लेम करने वाले की उम्र पर।
धारा 80DDB के तहत छूट की राशि, भाग VI (A) के तहत कवर की गई है।
मेडिकल इंश्योरेंस होने पर कितनी मिलेगी टैक्स छूट? अगर आपके मेडिकल खर्च के लिए कुछ या पूरा पैसा मेडिकल इंशोरेंस से मिला है तो उसे घटाकर ही आपको धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट मिलेगी।
- उदाहरण-1 यदि क्लेम करने वाला 60,000/- रुपये मेडीकल ट्रीटमेंट पर खर्च करता है, तो वह धारा 80DDB के तहत 40,000/- रुपये की टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। यदि इस खर्च के लिए किसी बीमा कंपनी से 30,000/- रुपये की राशि प्राप्त हुई है, तो धारा 80DDB के तहत वह जो टैक्स छूट का दावा कर सकता है वह 10,000 रु. (40,000 रु. – 30,000 रु.) होगी।
- उदाहरण -2 यदि बीमा कंपनी से 60,000/- रु. के खर्च पर मिली राशि 50,000/- रुपये है, जो 40,000/- रु. की टैक्स छूट क्लेम करने वाले को मिलने वाली थी वो नहीं मिलेगी, क्योंकि उस से ज़्यादा उसे बीमा कंपनी से मिल चुका है। हालाँकि, इस मामले में मेडीकल ट्रीटमेंट पाने वाला व्यक्ति यदि एक वरिष्ठ नागरिक है, तो वह 1,00,000/- (वरिष्ठ नागरिक को धारा 80DDB के तहत मिलने वाली टैक्स छूट) टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकता है।
सारांश : धारा 80DDB विशेष बिमारियों के इलाज में मेडिकल खर्चों के लिए व्यक्ति विशेष और HUF को टैक्स छूट देता है। और यह छूट टैक्स में आने वाली आय (ग्रौस टैक्सेबल इनकम) पर मिलती है।
वित्तीय वर्ष से अभिप्राय
Income Tax Rules India आयकर की गणना में वित्तीय वर्ष से अभिप्राय 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि होती है, तथा इस दौरान प्राप्त आय इस वित्तीय वर्ष की मानी जाती है। चूंकि किसी वर्ष की आय पर आयकर का निर्धारण वर्ष समाप्ति के पश्चात अगले वर्ष किया जाता है अतः अगले वर्ष को कर निर्धारण वर्ष कहा जाता है। इसलिये जिस वर्ष में आय अर्जित की जाती है उस वर्ष को गतवर्ष के रूप में जाना जाता है। सामान्यतः माह मार्च का वेतन 1 अप्रैल को तथा आगामी वर्ष के फरवरी माह का वेतन मार्च को प्राप्त होता है इसलिये मार्च से आगामी वर्ष की फरवरी माह तक के वेतन को आयकर विवरणिका में शामिल किया जाता है। फिर भी वेतन की गणना करने के लिये यह देखना होगा कि वेतन कब उपार्जित हुआ है अथवा कब प्राप्त हुआ है, इन दोनों परिस्थितियों में जो भी पहले हो के अनुसार उसके अनुसार कर योग्य माना जावेगा। निम्न बिन्दूओं से आप स्थिति को अधिक स्पष्ट कर सकते है।
वेतन एवं वेतन अवधि की विवेचना
प्राप्त वेतन : यदि गतवर्ष में कोई पिछला वेतन प्राप्त हुआ है तथा उस पर सम्बन्धित वर्ष में उपार्जन के आधार पर कर नहीं लग चुका है तो उस पर प्राप्ति के आधार पर कर लगाया जावेगा।
उपार्जित वेतन : यदि गतवर्ष में उपार्जित वेतन का भुगतान नहीं हुआ है तो उस पर गतवर्ष में ही कर लगाया जावेगा।
एडवांस वेतन : यदि किसी कर्मचारी को नियोक्ता ने अग्रिम वेतन दिया है तो वह प्राप्ति वाले वर्ष में टैक्स देय होगा।
एरियर का भुगतान : यदि गतवर्ष में कोई एरियर प्राप्त हुआ है तो वह भी गतवर्ष में कर योग्य होगा बशर्ते वह राशि उपार्जित होने वाले वर्ष में पहले ही कर योग्य न की गई हो। किन्तू एरियर पर धारा 89 की छूट का दावा किया जा सकता है।
बोनस, कमीशन, फीस इत्यादि : यदि कर्मचारी को अपने नियोक्ता से कोई बोनस, कमीशन अथवा फीस प्राप्त होती है तो वह जिस वर्ष में प्राप्त होगी वह वेतन के अन्तर्गत ही प्राप्ति वर्ष में कर योग्य होगी।
पेंशन : सभी राजकीय कर्मचारियों एवं गैर राजकीय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत प्राप्त होने वाली मासिक पेंशन पूर्णतः कर योग्य होगी। यह देय होने वाले वर्ष में कर योग्य होगी।
अवकाश के बदले नकदीकरण : एक सरकारी कर्मचारी को राजसेवा में रहते हुए यदि अवकाश के बदले कोई नकदीकरण होता है तो पूर्णत कर योग्य होगा। तथा यदि सेवानिवृत्ति पर राजकीय कर्मचारी अवकाश के बदले नकदीकरण प्राप्त होता है तो वह राशि पूर्णतयः कर मुक्त होगी।
सकल वेतन की गणना
वेतन : वेतन में मूल वेतन, मंहगाई वेतन, ग्रेड-पे, अवकाश वेतन, अग्रिम वेतन, वकाया वेतन, नवीन पेंशन योजना में सरकार का अंशदान, बोनस, कमीशन, फीस, विशेष वेतन, निर्वाह भत्ता आदि सम्मिलित किये जाते है।
कर योग्य भत्ते : महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, सीसीए, प्रतिनियुक्ति भत्ता, अंतरिम राहत, एनपीए, नौकर भत्ता, मेडिकल भत्ता, परियोजना भत्ता आवरटाईम भत्ता, वार्डन भत्ता, टिफिन भत्ता (मकान किराया कुछ परिस्थितियों में कर मुक्त है)
कर मुक्त भत्ते : विदेश भत्ता पूर्णतः करमुक्त होता है।
वास्तविक व्यय की सीमा तक कर मुक्त : आफिस कार्य हेतु आने-जाने, आफिस कार्य या ट्रांसफर के लिये की गयी यात्रा, आफिस के कार्य के निष्पादन हेतु हैल्पर रखने, अनुसंधान खर्च एवं पोशाक भत्ता वास्तविक व्यय की सीमा तक कर मुक्त होंगे।
- 1. Though incurring actual expenditure on payment of rent is a pre-requisite for claiming deduction under section 10(13A), it has been decided as an administrative measure that salaried employee drawing house rent allowance up to 3000 per month will be exempted from production of rent receipt. It may, however be noted that this concession is only for purpose of Tax deduction at source, and in the regular assessment of the employee, the Assessing Officer will be free make such enquiry as he deems fit for the purpose of satisfying himself that the employee has incurred actual expenditure on payment of rent.
Note :
- स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) एक निश्चित राशि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 50,000 है, जो टैक्स योग्य आय की गणना से पहले आपकी सैलरी से काट ली जाती है. यह साल 2005-06 तक आयकर अधिनियम का हिस्सा था, जब तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने इसे हटा दिया था.
- अधिभार (Surcharge): आयकर की राशि ऐसे कर के 10% की दर पर अधिभार द्वारा बढाई जाएगी जहां कुल आय एक करोड़ रूपए से अधिक हो। हालांकि, अधिभार (Surcharge) सीमांत राहत (marginal relief) के अनुसार ही देयहोगा। (अर्थात जहां कुल आय एक करोड़ रूपए से अधिक हो वहां आयकर तथा अधिभार के रूप में देययोग्य कुल राशि आय, जो एक करोड़ रूपए से अधिक हो, की राशि के अलावा एक करोड़ की कुल आय पर आयकर के रूप में देययोग्य कुल राशि से अधिक नही होगी)
- शिक्षा उपकर (Education Cess) : आयकर तथा अधिभार की राशि ऐसे आयकर तथा अधिभार के 2% प्रतिशत की दर पर आंके गए शिक्षा उपकर द्वारा आगामी वृद्धि की जाएगी।
- माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा उपकर (Secondary and Higher Education Cess): आयकर तथा अधिभार की राशि ऐसे आयकर तथा अधिभार के 2% की दर पर आंके गए माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा उपकर द्वारा आगामी वृद्धि की जाएगी।
- धारा 87A के अंतर्गत छूट : छूट निवासी व्यक्ति के लिए उपलब्ध होती हैं यदि उसकी कुल कर योग्य आय रू. 5,00,000 से अधिक न हो। छूट की राशि अधिकतम 12,500 रू होगी.
Income Tax Rules India आयकर कानून बहुत व्यापक है, उसकी संक्षिप्त में व्याख्या करना कठिन कार्य है फिर भी टीम rajsevak.com ने प्रयास किया है कि ’’वेतन से आय’’ शीर्षक के अन्तर्गत प्रमुख बिन्दुओं पर आपको जानकारी उपलब्ध हो सके। हमारी टीम द्वारा सूचना प्रस्तुतीकरण में पूर्ण सावधानी बरती है कि आपकी प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध करा सके, लेकिन फिर आपको सलाह दी जाती है कि अंतिम निर्णय अपने प्रमाणित कर सलाहकार से राय के उपरांत ही लेवें। अन्य कोई जानकारी हेतु आप हमें अवगत करावें।
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