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सावित्रीबाई फुले |
सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका
सावित्रीबाई फुले एक ऐसी महान महिला थीं जिन्होंने भारत में महिला शिक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने न केवल लड़कियों को पढ़ाया बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाई।
मुख्य बातें:
- जन्म और विवाह: 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में जन्मीं सावित्रीबाई का विवाह 9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से हुआ था।
- शिक्षा और सामाजिक कार्य: उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला। उन्होंने छुआछूत, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- उपलब्धियां: भारत की पहली महिला शिक्षिका होने के साथ-साथ उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।
- विरासत: आज भी सावित्रीबाई फुले को एक प्रेरणास्रोत के रूप में देखा जाता है।
क्यों हैं वे महत्वपूर्ण:
- उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करके उन्हें सशक्त बनाया।
- उन्होंने समाज में व्याप्त कई कुरीतियों को चुनौती दी।
- उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई।
गुरु गोविंद सिंह
गुरु गोविंद सिंह: सिखों के दसवें और अंतिम गुरु
गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे। उन्होंने सिख धर्म को एक लड़ाकू पंथ के रूप में स्थापित किया और सिखों को एकजुट किया।
प्रमुख योगदान
- खालसा पंथ की स्थापना: गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिखों का एक सैनिक संगठन था। उन्होंने खालसा पंथ के सदस्यों को 'सिंह' की उपाधि दी।
- धार्मिक स्वतंत्रता: उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता पर जोर दिया और सभी धर्मों का सम्मान करने की शिक्षा दी।
- समाज सुधार: उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे कि जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई।
- साहित्यिक योगदान: उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथ लिखे जिनमें 'चंडी दी वार', 'जाप साहिब', और 'खालसा महिमा' शामिल हैं।
जीवन और संघर्ष
गुरु गोविंद सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने मुगल सम्राटों के अत्याचारों का सामना किया और अपने दो छोटे साहिबजादों को खो दिया। बावजूद इसके, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और सिखों को एकजुट रखा।
गुरु गोविंद सिंह का महत्व
- सिख धर्म: उन्होंने सिख धर्म को एक मजबूत और संगठित धर्म बनाया।
- भारतीय इतिहास: उन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया।
- विश्व इतिहास: उन्हें एक महान योद्धा, कवि और धार्मिक नेता के रूप में याद किया जाता है।
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सुभाष चंद्र बोस |
सुभाष चंद्र बोस: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सपूत
सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक अत्यंत महत्वपूर्ण नेता थे। उन्हें 'नेताजी' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी अदम्य भावना और देशभक्ति ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
प्रमुख योगदान
- आजाद हिंद फौज: सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया। इस फौज ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए।
- जय हिंद का नारा: 'जय हिंद' का नारा सुभाष चंद्र बोस ने ही दिया था जो आज भी भारत का राष्ट्रीय नारा है।
- तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा: यह भी सुभाष चंद्र बोस का ही नारा था जिसने युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाई।
- सशस्त्र संघर्ष: सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भारत की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष जरूरी है।
जीवन और संघर्ष
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करते हुए नौकरी छोड़ दी। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय रूप से भाग लिया और कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। हालांकि, कुछ मतभेदों के कारण उन्हें कांग्रेस से इस्तीफा देना पड़ा।
नेताजी की विरासत
सुभाष चंद्र बोस को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महान नायक माना जाता है। उनकी अदम्य भावना और देशभक्ति ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। आज भी भारत में उनका जन्मदिन पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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