विद्यालयों में बच्चों को सुरक्षित, पौष्टिक और स्वच्छ मध्याह्न भोजन देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है। नीचे दिए गए निर्देश केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार हैं। सभी स्कूल कर्मचारी, रसोईया, प्रधानाध्यापक, बच्चों के अभिभावक और ग्राम पंचायतों को इनका पालन करना चाहिए।
रसोईघर एवं भोजन की तैयारी
- रसोईघर की सफाई रखें। दीवारों, छत, फर्श सहित हर कोना नियमित साफ करें जिससे मक्खी, चूहे आदि न आएं।
- खाना बनाने वाले रसोईया खुद भी स्वच्छता का ध्यान रखें जैसे सफेद एप्रन पहनें, नाखून काटें, सिर पर कपड़ा बांधें।
- खाना बनाने की जगह, बर्तन, चूल्हा, सब्ज़ी, पानी सब साफ होना चाहिए। उपयोग में लाए जाने वाले चावल, दाल तथा सब्जियां साफ करें।
- खाना बनाते समय बर्तन ढंक कर रखें और गैस या चूल्हे का उपयोग सुरक्षित तरीके से करें।
- खाना बनाते समय बच्चों को रसोईघर के आसपास न रहने दें।
बच्चों को खाना परोसने की प्रक्रिया
- बच्चों को साफ जगह पर बैठाकर, साबुन से हाथ धुलवाने के बाद भोजन परोसें।
- सभी बच्चों को उनके उम्र, ज़रूरत और मेनू के अनुसार खाना दें ताकि कोई खाना बर्बाद न करे।
- खाना देने वाले कर्मचारी को व्यक्तिगत सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
- दैनिक मेनू को चार्ट बनाकर विद्यालय में प्रदर्शित करें ताकि सभी जान सकें कि आज का भोजन क्या है।
भोजन के बाद आवश्यक कार्य
- उपयोग किए गए बर्तन धोकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखें।
- खाने के बाद स्कूल परिसर की सफाई करें। फालतू बचे खाने को उचित जगह फेंकें, जानवरों को न खिलाएं।
- मध्याह्न भोजन के संचालन की निगरानी प्राथमिक शिक्षक/प्रधानाध्यापक द्वारा करनी चाहिए एवं रजिस्टर में विवरण दर्ज करें।
पीने के पानी का रख-रखाव
- विद्यालय में पीने के पानी की स्वच्छता और सुरक्षा अत्यंत जरूरी है। टंकी या बर्तन ढंक कर रखें और साफ करें।
- पानी का नमूना समय-समय पर जांच करवाएं। बच्चों को साफ पानी पिलाएं।
- प्रधानाध्यापक और शिक्षक टीम यह सुनिश्चित करें कि पानी सही है और अगर गंदा है तो ग्रामीण पंचायत को सूचित करें।
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